महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर बड़ा मोड़ आ सकता है. एक समय एक-दूसरे के राजनीतिक विरोधी माने जाने वाले राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के बीच हाल ही में बढ़ती नजदीकियों ने अटकलों को जन्म दिया है कि दोनों ठाकरे बंधु एक बार फिर साथ आ सकते हैं. सूत्रों के अनुसार, बीते कुछ हफ्तों में दोनों नेताओं के बीच कई अनौपचारिक मुलाकातें हुई हैं. कहा जा रहा है कि महाराष्ट्र की बदलती राजनीतिक परिस्थितियों और मराठी अस्मिता की लड़ाई को केंद्र में रखकर एक नया गठबंधन आकार ले सकता है.
राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) और उद्धव ठाकरे की शिवसेना (उद्धव गुट) दोनों ही राज्य में खुद को मराठी मानुष की असली आवाज मानते आए हैं. ऐसे में अगर दोनों पार्टियों का विलय या गठबंधन होता है, तो महाराष्ट्र की राजनीति में यह एक बड़ी घटनाक्रम मानी जाएगी.
महाविकास अघाड़ी के लिए भी चुनौती?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह एकता न सिर्फ भावनात्मक रूप से ठाकरे परिवार के लिए महत्वपूर्ण होगी बल्कि चुनावी गणित में भी नया समीकरण बना सकती है. बीजेपी और महाविकास आघाड़ी दोनों के लिए यह गठबंधन एक नई चुनौती बन सकता है.
दोनों नेताओं की मुलाकात पर कोई बयान नहीं
हालांकि, अभी तक दोनों नेताओं की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन उनकी टीमों की चुप्पी और नेताओं की मुलाकातें इस संभावित एकता की ओर इशारा कर रही हैं. यदि यह गठबंधन साकार होता है, तो यह केवल एक राजनीतिक कदम नहीं बल्कि ठाकरे परिवार की विरासत को पुनः एक सूत्र में पिरोने का प्रयास माना जाएगा.
गौरतलब है कि 5 जुलाई को उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे साथ में महाराष्ट्र के स्कूलों में हिंदी को तीसरी भाषा बनाने के फैसले के खिलाफ आंदोलन करेंगे. महाराष्ट्र में नगर निगम के चुनाव भी होने हैं. ऐसे में दोनों भाइयों की संभावित जोड़ी पर सबकी नजरें टिकी हैं.